अंतिम सांसें गिनते पिता बोले- देश का फर्ज निभाओ, भीगी आंखाें से बेटी ने गणतंत्र दिवस समाराेह में सम्मान स्वीकारा, लाैटकर पापा की देहदान की

 कर्तव्यपथ पर चलते वक्त कई बार बड़े धर्मसंकट भी आते हैं। ऐसी दुविधाजनक परिस्थितियों में भी फर्ज की राह पर चलने वाले ही अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखवाते हैं। ऐसा ही धर्मसंकट गणतंत्र दिवस की सुबह राउमावि मंडी स्कूल की संस्कृत अध्यापिका चंद्रा सिंघवी के सामने आया। भामाशाह से सहयोग जुटाकर अपनी स्कूल में 51 लाख रु. की जीर्णोद्धार करवाने वाली चंद्रा का गणतंत्र दिवस पर प्रशासन की ओर से सम्मान होना था। समारोह से कुछ समय पहले ही उनके पिता देवराज सिंघवी 83 की स्थिति बेहद नाजुक हो गई। चंद्रा भी अपने पिता के सिरहाने खड़ी थी। ऐसी स्थिति में भी पिता ने कहा-  बेटी तुम गणतंत्र दिवस समारोह में जाओ। तुम सरकार से सम्मान लेकर कर्तव्य का पालन और मेरी इच्छा पूरी कर।


इतना कहते-कहते ही देवराज सिंघवी सांसें उखड़ गईं। इस शोक की घड़ी में भी आंखों में आंसू लिए बिटिया ने कर्तव्य की राह और पिता के आदेश को शिरोधार्य किया। परिवार ने भी उनका हौसला बढ़ाया। इस पर वे तत्काल गणतंत्र दिवस समारोह के लिए रवाना हुईं। समारोह में उनका नाम 39वें नंबर पर था। कलेक्टर को जब उनकी परिस्थिति के बारे में पता चला तो उन्होंने सूची में सबसे आगे चंद्रा का नाम करवाया। उदघोषणा के बाद चंद्रा ने डबडबाई आंखों से सम्मान ग्रहण किया। यहां से वे तत्काल शंकरनगर स्थित पिता के घर पहुंचीं। अभी कार्य पूर्ण नहीं हुआ था। पिता की देहदान की इच्छा पूरी करने के लिए वे भाई डाॅ. नरपतराज सिंघवी के साथ पिता की पार्थिव देह लेकर एम्स पहुंचीं। यहां देवराज सिंघवी की देह मेडिकल रिसर्च के लिए दान की गई।


पिताजी की इच्छा थी कि बेटी कर्तव्य पालन करे 


चंद्रा के बड़े भाई डॉ नरपतराज ने बताया कि पिताजी की इच्छा थी कि बहन कर्तव्य पालन करे तथा उसे उसके कार्यों का सम्मान मिले। पिता ने संथारा के दौरान अंतिम सांस लेते हुए चंद्रा से यही कहा था।-डॉ. नरपतराज सिंघवी, चंद्रा के बड़े भाई


पिता के दोस्त से 100 साल पुरानी स्कूल का 51 लाख में जीर्णोद्धार करवाया
चंद्रा सिंघवी राउमावि मंडी स्कूल में संस्कृत की वरिष्ठ शिक्षिका हैं। उन्होंने 100 साल से भी पुरानी इस स्कूल की इमारत का जीर्णोद्धार करवाने की ठानी। इसके लिए उन्होंने पिता से उनके दोस्त समाजसेवी संपत बाफना से बात करने को कहा। देवराज सिंघवी के आग्रह व चंद्रा के समझाने पर बाफना ने 51 लाख रु. देकर यह कार्य करवाया।


शादी की 55वीं सालगिरह पर लिया था देहदान का संकल्प
देवराज सिंघवी ने शादी की 55वीं सालगिरह पर बेटी-बेटे चंद्रा, डॉ. नरपतराज सिंघवी व स्व. महेंद्रराज सिंघवी के सामने मृत्युपरांत देहदान की इच्छा जताई थी। एेसे माैके पर इस घाेषणा से सभी हैरत में पड़ गए थे। नियति का योग ऐसा बना कि शादी की 63वीं सालगिरह 5 फरवरी को होती, लेकिन इससे पहले ही उनका देहांत हाे गया।


एम्स को मिली 123वीं देह, इस साल तीसरी बॉडी डोनेट


देवराज सिंघवी के रूप में एम्स में 123वां देहदान हुआ। शंकरनगर निवासी सिंघवी की मृत्यु के बाद उनकी बेटी चंद्रा सहित परिजनों ने देह को शोध के लिए दान कर दिया। एम्स में आशीष नैयर ने बताया कि यह इस साल का तीसरा देहदान है।Image result for dehdan animated in hospital